ज़ालिम फ़िरौन पर अल्लाह का अज़ाब और इबरत और नसीहत
तहरीर: शैख़ मक़बूल अहमद सलफ़ी हाफ़िज़ाहुल्लाह
हिंदी मुतर्जिम: हसन फ़ुज़ैल
हिंदी मुतर्जिम: हसन फ़ुज़ैल
ज़ुल्म अंधेरा है, ज़मीन में फ़साद-फ़ी-अल-अर्ज़ (अशांति) है, और कुरह-अर्ज़ (ज़मीन) पर दुनिया का सबसे बड़ा गुनाह है। अल्लाह शिर्क के अलावा अपने नफ़्सो पर और अल्लाह के हक़ में हुए जुल्म और ज़्यादती को चाहे तो माफ़ कर सकता है, मगर बंदों के हक़ में ज़ुल्म और ज़्यादती करने वालों को हरगिज़ माफ़ नहीं करेगा। भले दुनिया की अदालतों में ऐसे ज़ालिमों के लिए कोई सज़ा न हो, मगर ख़ालिक-ए-काइनात की अदालत से दुनिया की सज़ा मुक़र्रर होती है और ज़रूर उसे मिलकर रहती है।
आख़िरत में तो अलग से सज़ा मुक़र्रर है ही। इंसानी तारीख़ ज़ालिमों की इब्रतनाक सज़ाओं से भरी पड़ी है। मैं यहाँ क़ुरआन-ए-मुक़द्दस के हवाले से दुनिया के ज़ालिम तरीन इंसान फ़िरौन के ज़ुल्म और इस्तिब्दाद (अत्याचार) और उस पर अल्लाह के क़हर और अज़ाब का ज़िक्र करना चाहता हूँ, जिसमें दुनिया वालों के लिए इबरत और नसीहत है मगर कम ही लोग नसीहत हासिल करते हैं। अल्लाह का फ़रमान है:
فاليوم ننجيك ببدنك لتكون لمن خلفك آية وان كثيرا من الناس عن آياتنا لغافلون.(يونس:92)
तर्जुमा: पस आज सिर्फ़ तेरी लाश को निजात देंगे ताकि तू उनके लिए निशाने इबरत हो जो तेरे बाद हैं और हक़ीक़त यह है कि बहुत से आदमी हमारी निशानियों से ग़ाफ़िल हैं।
बनी इस्राइल, जिस की तरफ़ मूसा (अलैहिस्सलाम) भेजे गए, दरअसल याक़ूब (अलैहिस्सलाम) की 12 औलाद से चलने वाली 12 क़बीलों की नस्ले हैं जो मिस्र में थीं। अल्लाह ने बनी इस्राइल को बहुत सारी नेमतों से नवाज़ा था, उनको पूरी दुनिया पर बर्तरी और हुकूमत अता फ़रमाई थी। अल्लाह का फ़रमान है:
يا بني اسرآئيل اذكروا نعمتي التي أنعمت عليكم واني فضلتكم على العالمين.(البقرة:47)
तर्जुमा: ऐ औलाद-ए-याक़ूब, मेरी उस नेमत को याद करो जो मैंने तुम पर इनाम की और मैंने तुम्हें तमाम जहानों पर फ़ज़ीलत दी।
मिस्र में क़िब्तियों की भी क़ौम थी, जिससे फ़िरौन यानी बादशाह हुआ करता था। जब बनी इस्राइल ने अल्लाह के अहकाम की नाफ़रमानी की हद से तजावुज़ किया तो अल्लाह ने उन पर 4 सदियों तक ज़ालिम फ़िरौन को मुसल्लत कर दिया। फ़िरौन ने बनी इस्राइल को अपना ग़ुलाम बना रखा था और उनमें से कोई यहाँ से भाग कर भी नहीं जा सकता था। दोबारा अल्लाह ने बनी इस्राइल पर मेहरबानी की और मूसा (अलैहिस्सलाम) को उनकी तरफ़ नबी बनाकर भेजा और आपकी बदौलत फ़िरौन के ज़ुल्म से निजात दी।
मूसा (अलैहिस्सलाम) और फ़िरौन का क़िस्सा बड़ा लंबा है। सुरह क़सस, सुरह शुअरा और दीगर मुत'अद्दिद मक़ामात पर इसकी तफ़सील मज़कूर है। मैं क़ुरआन और तफ़सीरो के हवाले से मुख़्तसर तौर पर यहाँ मूसा (अलैहिस्सलाम) का क़िस्सा और बनी इस्राइल का फ़िरौन के ज़ुल्म से निजात बयान कर देता हूँ। मूसा (अलैहिस्सलाम) की पैदाइश से पहले नजूमियों और काहिनों ने फ़िरौन को ख़बर दी के बनी इस्राइल में एक लड़का पैदा होने वाला है जो उसकी हुकूमत और सल्तनत का ख़ात्मा करने वाला है। इस वजह से फ़िरौन ने बनी इस्राइल के हर लड़के को क़त्ल करवाना शुरू कर दिया।क़त्ल की वजह जब ख़िदमत गुज़ार बनी इस्राइल की कमी होने लगी तो फिर एक साल छोड़ दिया करता था।
मूसा अलैहिस्सलाम के बड़े भाई हारून की पैदाइश क़त्ल वाले साल से पहले और मूसा (अलैहिस्सलाम) की पैदाइश क़त्ल वाले साल हुई। अल्लाह ने मूसा (अलैहिस्सलाम) की माँ की तरफ़ वह्यी की कि इसे ताबूत में रख कर दरिया में बहा दो और कोई ग़म न करो, साथ ही यह वादा भी किया के इस बच्चे को उसके पास दुबारा लौटाएगा और उसे पैग़म्बर भी बनाएगा। माँ ने अल्लाह के हुक्म की तामील की और बेटी को लोगों की नज़रों से दूर हो कर उसे देखते रहने की ताकीद की। क़ुदरत का करिश्मा के इस ताबूत पर फ़िरौन के हवारीयों की नज़र पड़ती है। वह उसे दरबार में ले आते हैं, लड़का देख कर फ़िरौन ने क़त्ल का हुक्म दिया मगर फ़िरौन की बीवी ने यह कह कर बचा लिया कि शायद यह हमारे किसी काम आए या इसे हम अपना बेटा बना लें।
क़ुदरत ने बच्चे को माँ का ही दूध पिलाया क्योंकि उसने किसी का दूध पिया ही नहीं। फ़िरौन ने जिसे अपने हलाक करने वाले की तलाश थी, उसके क़त्ल के दर पे था और इस काम के लिए सैकड़ों लड़कों का क़त्ल करवा चुका था, उस वक्त वह अपने महल में उसी की परवरिश कर रहा था। यह भी क़ुदरत का अज़ीम करिश्मा है। जवानी तक वहाँ पले बढ़े। एक रोज़ उन्होंने एक क़िब्ती को बनी इस्राइल पर ज़ुल्म करते देखा, पहले उसे मना किया, बाज़ न आने पर एक मुक्का रसीद कर दिया और क़िब्ती उसी वक्त मर गया।
इस डर से कि कहीं फ़िरौन क़िब्ती को क़त्ल करने के जुर्म में हमें क़त्ल न करवा दे, वह मदीयन चले गए। वहाँ एक कुएं पर लोगों को जानवर को पानी पिलाते हुए देखा। उनके 2 लड़कियाँ भी थीं जो काफ़ी देर से इंतज़ार कर रही थीं। मूसा (अलैहिस्सलाम) ने वजह पूछी तो उन्होंने जवाब दिया के हम सब से आख़िर में अपने जानवरों को पिलाएंगे। मूसा (अलैहिस्सलाम) ने पानी पिलाने पर उनकी बग़ैर उजरत मदद की। लड़कियाँ घर जा कर अपने वालिद को आपके बारे में बताया और अमानतदारी और क़वी होने की सिफ़त बता कर अपने यहाँ काम पर रखने की सलाह दी। बाप ने मूसा (अलैहिस्सलाम) को तलब किया और 8 साल ख़िदमत करने पर अपनी एक बेटी से निकाह का वादा किया, अगर 10 साल पूरे करे तो यह एहसान होगा।
मूसा (अलैहिस्सलाम) राज़ी हो गए। जब ख़िदमत करते-करते मुद्दत पूरी हो गई तो बूढ़े बाप ने आप से एक बेटी का निकाह कर दिया। अब मूसा (अलैहिस्सलाम) अपने अहल और माल के साथ वापिस लौट रहे थे कि रास्ते में आग की तलाश में एक जगह रुक गए। बीवी को इंतिज़ार करने को कहा और ख़ुद उस जगह आग लेने चले गए जहां से रोशनी नज़र आ रही थी। वहां पहुंचने पर अल्लाह ने मूसा (अलैहिस्सलाम) से कलाम किया और आपको नुबूवत से सरफ़राज़ फ़रमा कर फ़िरौन की तरफ़ जा कर नरमी से तबलीग़ करने का हुक्म दिया। अल्लाह ने आपको बतौर-ए-मौजिज़ा 9 निशानियाँ अता फ़रमाई। मूसा (अलैहिस्सलाम) के अंदर एक ख़ौफ़ तो यह था कि उन्होंने क़िब्ती को मार दिया था और दूसरा ख़ौफ़ यह था कि फ़िरौन बड़ा ज़ालिम था, वह रब होने का दावा करता था। साथ ही आपकी ज़बान में लुक्नत (हकलापन) भी थी, इस लिए अल्लाह से 4 बातों की दुआ की। अल्लाह फ़रमाता है:
قال رب اشرح لي صدري ويسرلي امري واحلل عقدة من لساني يفقهوا قولي واجعل لي وزيرا من اهلي هارون اخي اشدد به ازري واشركه في امري.(طه: 25-32)
तर्जुमा: मूसा ने कहा, ऐ मेरे परवर्दिगार (1) मेरा सीना मेरे लिए खोल दे। (2) और मेरे काम को मुझ पर आसान कर दे। (3) और मेरी ज़बान की गिरह भी खोल दे ताकि लोग मेरी बात अच्छी तरह समझ सके। (4) और मेरा वज़ीर मेरे कुन्बे में से कर दे यानी मेरे भाई हारून को। तो उससे मेरी कमर कस दे और उसे मेरा शरीक-ए-कार (मददगार) कर दे।
दोनों भाई मूसा और हारून ने फ़िरौन को रब्बुल आलमीन का पैग़ाम सुनाया और अल्लाह वहदहु ला शरीक की इबादत की तरफ़ बुलाया मगर उसने सरकशी की और नुबुव्वत की निशानियाँ तलब की। मूसा अलैहिस्सलाम ने अपने नबी होने का मौजिज़ा पेश किया। लाठी का सांप बन जाना, बग़ल में हाथ लगाने से उसमें चमक पैदा होना। फ़िरौन ने जादूगरी कहकर इसका भी इनकार किया।
फिर फ़िरौन ने अपने माहिर जादूगरों से मूसा अलैहिस्सलाम का मुक़ाबला करवाया। मुक़ाबले में पहले फ़िरौन के जादूगरों ने अपनी लाठियाँ और रस्सियाँ ज़मीन पर फेंकी और आख़िर में मूसा अलैहिस्सलाम ने अपनी लाठी फेंकी जो अजदहा बनकर जादूगरों के तमाम आलात निगल गई। यह मंज़र देखकर सारे जादूगर मूसा और हारून के रब पर ईमान ले आए। फ़िरौन अब भी ईमान न लाया और ख़ुद को ही माबूद कहलाता रहा। लोगों से कहता, "أنا ربكم الأعلى" यानी मैं तुम सबका सबसे बड़ा माबूद हूँ। यह फ़िरौन का सबसे बड़ा गुनाह था। इसके अलावा क़ुरआन ने फ़िरौन को सरकशी करने वाला, बनी इस्राइल पर ज़ुल्म और सितम ढाने वाला, उनका क़त्ल करने वाला और फ़साद मचाने वाला कहा है। अल्लाह फ़रमाता है:
"ان فرعون علا في الأرض وجعل أهلها شيعا يستضعف طائفة منهم يذبح أبناءهم ويستحيي نساءهم انه كان من المفسدين."
(القصص: 4)
तर्जुमा: यक़ीनन फ़िरौन ने ज़मीन में सरकशी कर रखी थी और वहाँ के लोगों को गिरोह गिरोह बना रखा था और उनमें से एक फ़िरक़े को कमज़ोर कर रखा था और उनके लड़कों को तो ज़िब्ह कर डालता था और उनकी लड़कियों को ज़िंदा छोड़ देता था। बेशक वह था ही मुफ़सिदों में से।
इसके अलावा रसूल को झुठलाने वाले फ़िरौन और उसके लश्कर को क़ुरआन ने कहीं ज़ालिम क़ौम कहा, कहीं फ़ासिक़ क़ौम कहा, कहीं क़ाहिर कहा, कहीं सरकशी और बाग़ी और कहीं मुतकब्बिर कहा। एक तरफ़ फ़िरौन अपने इन मज़ालिम (ज़ुल्म-ओ-सितम) की वजह से अल्लाह की अदालत से दर्दनाक अज़ाब का मुस्तहिक़ था ही, दूसरी तरफ मूसा अलैहिस्सलाम ने उसकी हलाकत की अल्लाह से दुआ भी माँगी। अल्लाह फ़रमाता है:
"وقال موسى ربنا آتيت فرعون وملاه زينة واموالا في الحياة الدنيا ربنا ليضلوا عن سبيلك ربنا اطمس على أموالهم واشدد على قلوبهم فلا يؤمنوا حتى يروا العذاب الاليم."
(يونس: 88)
तर्जुमा: और मूसा ने अर्ज़ किया कि ऐ हमारे रब! तू ने फ़िरौन को और उसके सरदारों को शानदार ज़ीनत और तरह-तरह के माल दुनियावी ज़िंदगी में दिए। ऐ हमारे रब! (इसी वास्ते दिए हैं कि) वह तेरी राह से गुमराह करें। ऐ हमारे रब! उनके माल को नीस्त-नाबूद (तबाह) कर दे और उनके दिलों को सख़्त कर दे। फिर यह ईमान न लाने पाएं जब तक कि दर्दनाक अज़ाब को न देख लें।
फिर क्या था, दुनिया में ही फ़िरौन और उसके लश्कर पर अल्लाह की तरफ़ से क़िस्म क़िस्म का अज़ाब आना शुरू हो गया। क़हत साली, फलों की कमी, तूफ़ान, टिड्डियाँ, घुन का कीड़ा, मेंढक, और ख़ून का अज़ाब आया। यहाँ तक कि उनके साख़्ता-पर्दाख़्ता (बनाया- सँवारा) कारख़ाने और ऊँची ऊँची इमारतों को भी दरहम बरहम कर दिया गया। फ़िरौन मूसा अलैहिस्सलाम से अज़ाब हटाने के बदले बनी इस्राइल की आज़ादी का वादा करता मगर कभी निभाता नहीं।
फ़िरौन और उसके लश्कर पर दुनिया का सबसे बड़ा अज़ाब यह आया कि जब मूसा अलैहिस्सलाम बनी इस्राइल को लेकर एक दिन अचानक भाग निकले और फ़िरौन अपने लश्कर के साथ उनका पीछा किया। दरिया के पास पहुँचकर मूसा अलैहिस्सलाम ने अल्लाह के हुक्म से पानी पर लाठी मारी और 12 रास्ते बन गए। इस तरह मूसा अलैहिस्सलाम और उनकी क़ौम उन रास्तों से पार निकलकर हमेशा के लिए फ़िरौनी ज़ुल्म और सितम से निजात पा गए। और जब फ़िरौन और उसका लश्कर दरिया उबूर करने लगे, तो अल्लाह ने पानी को आपस में मिलाकर डुबो दिया और सबको एक आन (वक्त) में मौत की नींद सुला दिया। अल्लाह का फ़रमान है:
"واذا فرقنا بكم البحر فانجيناكم واغرقنا آل فرعون وانتم تنظرون."
(البقرة: 50)
तर्जुमा: और जब हमने तुम्हारे लिए दरिया चीर दिया और तुम्हें उस से पार कर दिया और फ़िरौनीयों को तुम्हारी नज़रों के सामने उसमें डुबो दिया।
तिरमिज़ी (3108) की सही हदीस में है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ज़िक्र किया कि जब फ़िरौन डूबने लगा, तो जिब्रईल अलैहिस्सलाम फ़िरौन के मुँह में मिट्टी ठूँसने लगे इस डर से कि वह कहीं "لا اله الا الله" न कह दे, तो अल्लाह को उस पर रहम आ जाए।
फ़िरौन को उसके ज़ुल्म के बदले दुनिया में मुख़्तलिफ़ क़िस्म की सज़ा मिली, दर्दनाक तरीक़े से पानी में डुबो दिया गया। मरते वक्त फ़रिश्ते उसके मुँह में दरिया की मिट्टी ठूँसते रहे। मज़लूम के सामने ज़ालिम फ़िरौन को कैफ़र-ए-किरदार (बुरे कर्मों का बदला/किए की सज़ा) तक पहुँचाया गया, यानी उसको डुबोकर मारा गया। मरकर भी क़यामत तक (आलम ए बरज़ख़ में) फ़िरौन और उसकी आल को अज़ाब मिलता रहेगा और क़यामत में भी सख़्त तरीन अज़ाब दिया जाएगा। अल्लाह का फ़रमान है:
"النار يعرضون عليها غدوا وعشيا ويوم تقوم الساعة ادخلوا آل فرعون أشد العذاب."
(غافر: 46)
तर्जुमा: आग है जिसके सामने यह हर सुबह शाम लाए जाते हैं और जिस दिन क़यामत क़ायम होगी (फ़रमान होगा कि) फ़िरौनीयों को सख़्त तरीन अज़ाब में डाल दो।
इस पूरे वाक़ि'आ से एक अहम नसीहत मिलती है कि अल्लाह ने मूसा अलैहिस्सलाम और आप पर ईमान लाने वालों को दुनिया के सबसे ज़ालिम हुक्मरान से निजात दी। यहाँ तक कि फ़िरौन की बीवी आसिया भी ईमान ले आती है। फ़िरौन से निजात और जन्नत में घर के लिए अल्लाह से दुआ करती है।
ज़ालिम फिरौन की हलाकत और तबाही के मुताल्लिक़ अल्लाह ने फ़रमाया कि देखो ज़ालिम का क्या अंजाम हुआ:
"فاخذناه وجنوده فنبذناهم في اليم فانظر كيف كان عاقبة الظالمين."
(القصص: 40)
तर्जुमा: बिलआख़िर हमने उसे और उसके लश्कर को पकड़ लिया और दरिया में डुबो दिया। अब देख लो कि उन गुनहगारों का अंजाम कैसा कुछ हुआ?
एक दूसरी जगह अल्लाह ने फ़रमाया:
"ثم بعثنا من بعدهم موسى بآياتنا إلى فرعون وملئه فظلموا بها فانظر كيف كان عاقبة المفسدين."
(الأعراف: 103)
तर्जुमा: फिर उनके बाद हमने मूसा को अपने दलाईल देकर फ़िरौन और उसके उमरा (हाकिम/दौलतमंदो) के पास भेजा, मगर उन लोगों ने उनका बिल्कुल हक़ अदा न किया। पस देखो उन मुफ़सिदों का क्या अंजाम हुआ।
नसीहत से मुताल्लिक एक आख़री बात अर्ज़ करना चाहता हूँ कि अल्लाह ने फ़िरौन की लाश महफ़ूज़ रखने का वादा किया है ताकि बाद वालों के लिए नसीहत रहे। फ़रमान ए इलाही है:
"فاليوم ننجيك ببدنك لتكون لمن خلفك آية وان كثيرا من الناس عن آياتنا لغافلون."
(يونس: 92)
तर्जुमा: पस आज हम तेरी लाश को निजात देंगे ताकि तू उनके लिए निशाने इबरत हो जो तेरे बाद हैं और हक़ीक़त यह है कि बहुत से आदमी हमारी निशानियों से ग़ाफ़िल हैं। इस आयत के तनाज़ुर में मिस्र के म्यूज़ियम में मौजूद ममी की हुई लाश को अक्सर लोग फ़िरौन-ए-मूसा कहते हैं। वाज़ेह रहे कि यह सिर्फ़ एक साइंस की तहक़ीक़ है, इस लिए इस लाश को हतमी तौर पर फ़िरौन की लाश नहीं कह सकते हैं और ना ही हतमी तौर पर यह कह सकते हैं कि लाश की हिफ़ाज़त से मक़सूद क़यामत तक हिफ़ाज़त है क्योंकि आयत में इसकी सराहत नहीं है।
आख़िरत में तो अलग से सज़ा मुक़र्रर है ही। इंसानी तारीख़ ज़ालिमों की इब्रतनाक सज़ाओं से भरी पड़ी है। मैं यहाँ क़ुरआन-ए-मुक़द्दस के हवाले से दुनिया के ज़ालिम तरीन इंसान फ़िरौन के ज़ुल्म और इस्तिब्दाद (अत्याचार) और उस पर अल्लाह के क़हर और अज़ाब का ज़िक्र करना चाहता हूँ, जिसमें दुनिया वालों के लिए इबरत और नसीहत है मगर कम ही लोग नसीहत हासिल करते हैं। अल्लाह का फ़रमान है:
فاليوم ننجيك ببدنك لتكون لمن خلفك آية وان كثيرا من الناس عن آياتنا لغافلون.(يونس:92)
तर्जुमा: पस आज सिर्फ़ तेरी लाश को निजात देंगे ताकि तू उनके लिए निशाने इबरत हो जो तेरे बाद हैं और हक़ीक़त यह है कि बहुत से आदमी हमारी निशानियों से ग़ाफ़िल हैं।
बनी इस्राइल, जिस की तरफ़ मूसा (अलैहिस्सलाम) भेजे गए, दरअसल याक़ूब (अलैहिस्सलाम) की 12 औलाद से चलने वाली 12 क़बीलों की नस्ले हैं जो मिस्र में थीं। अल्लाह ने बनी इस्राइल को बहुत सारी नेमतों से नवाज़ा था, उनको पूरी दुनिया पर बर्तरी और हुकूमत अता फ़रमाई थी। अल्लाह का फ़रमान है:
يا بني اسرآئيل اذكروا نعمتي التي أنعمت عليكم واني فضلتكم على العالمين.(البقرة:47)
तर्जुमा: ऐ औलाद-ए-याक़ूब, मेरी उस नेमत को याद करो जो मैंने तुम पर इनाम की और मैंने तुम्हें तमाम जहानों पर फ़ज़ीलत दी।
मिस्र में क़िब्तियों की भी क़ौम थी, जिससे फ़िरौन यानी बादशाह हुआ करता था। जब बनी इस्राइल ने अल्लाह के अहकाम की नाफ़रमानी की हद से तजावुज़ किया तो अल्लाह ने उन पर 4 सदियों तक ज़ालिम फ़िरौन को मुसल्लत कर दिया। फ़िरौन ने बनी इस्राइल को अपना ग़ुलाम बना रखा था और उनमें से कोई यहाँ से भाग कर भी नहीं जा सकता था। दोबारा अल्लाह ने बनी इस्राइल पर मेहरबानी की और मूसा (अलैहिस्सलाम) को उनकी तरफ़ नबी बनाकर भेजा और आपकी बदौलत फ़िरौन के ज़ुल्म से निजात दी।
मूसा (अलैहिस्सलाम) और फ़िरौन का क़िस्सा बड़ा लंबा है। सुरह क़सस, सुरह शुअरा और दीगर मुत'अद्दिद मक़ामात पर इसकी तफ़सील मज़कूर है। मैं क़ुरआन और तफ़सीरो के हवाले से मुख़्तसर तौर पर यहाँ मूसा (अलैहिस्सलाम) का क़िस्सा और बनी इस्राइल का फ़िरौन के ज़ुल्म से निजात बयान कर देता हूँ। मूसा (अलैहिस्सलाम) की पैदाइश से पहले नजूमियों और काहिनों ने फ़िरौन को ख़बर दी के बनी इस्राइल में एक लड़का पैदा होने वाला है जो उसकी हुकूमत और सल्तनत का ख़ात्मा करने वाला है। इस वजह से फ़िरौन ने बनी इस्राइल के हर लड़के को क़त्ल करवाना शुरू कर दिया।क़त्ल की वजह जब ख़िदमत गुज़ार बनी इस्राइल की कमी होने लगी तो फिर एक साल छोड़ दिया करता था।
मूसा अलैहिस्सलाम के बड़े भाई हारून की पैदाइश क़त्ल वाले साल से पहले और मूसा (अलैहिस्सलाम) की पैदाइश क़त्ल वाले साल हुई। अल्लाह ने मूसा (अलैहिस्सलाम) की माँ की तरफ़ वह्यी की कि इसे ताबूत में रख कर दरिया में बहा दो और कोई ग़म न करो, साथ ही यह वादा भी किया के इस बच्चे को उसके पास दुबारा लौटाएगा और उसे पैग़म्बर भी बनाएगा। माँ ने अल्लाह के हुक्म की तामील की और बेटी को लोगों की नज़रों से दूर हो कर उसे देखते रहने की ताकीद की। क़ुदरत का करिश्मा के इस ताबूत पर फ़िरौन के हवारीयों की नज़र पड़ती है। वह उसे दरबार में ले आते हैं, लड़का देख कर फ़िरौन ने क़त्ल का हुक्म दिया मगर फ़िरौन की बीवी ने यह कह कर बचा लिया कि शायद यह हमारे किसी काम आए या इसे हम अपना बेटा बना लें।
क़ुदरत ने बच्चे को माँ का ही दूध पिलाया क्योंकि उसने किसी का दूध पिया ही नहीं। फ़िरौन ने जिसे अपने हलाक करने वाले की तलाश थी, उसके क़त्ल के दर पे था और इस काम के लिए सैकड़ों लड़कों का क़त्ल करवा चुका था, उस वक्त वह अपने महल में उसी की परवरिश कर रहा था। यह भी क़ुदरत का अज़ीम करिश्मा है। जवानी तक वहाँ पले बढ़े। एक रोज़ उन्होंने एक क़िब्ती को बनी इस्राइल पर ज़ुल्म करते देखा, पहले उसे मना किया, बाज़ न आने पर एक मुक्का रसीद कर दिया और क़िब्ती उसी वक्त मर गया।
इस डर से कि कहीं फ़िरौन क़िब्ती को क़त्ल करने के जुर्म में हमें क़त्ल न करवा दे, वह मदीयन चले गए। वहाँ एक कुएं पर लोगों को जानवर को पानी पिलाते हुए देखा। उनके 2 लड़कियाँ भी थीं जो काफ़ी देर से इंतज़ार कर रही थीं। मूसा (अलैहिस्सलाम) ने वजह पूछी तो उन्होंने जवाब दिया के हम सब से आख़िर में अपने जानवरों को पिलाएंगे। मूसा (अलैहिस्सलाम) ने पानी पिलाने पर उनकी बग़ैर उजरत मदद की। लड़कियाँ घर जा कर अपने वालिद को आपके बारे में बताया और अमानतदारी और क़वी होने की सिफ़त बता कर अपने यहाँ काम पर रखने की सलाह दी। बाप ने मूसा (अलैहिस्सलाम) को तलब किया और 8 साल ख़िदमत करने पर अपनी एक बेटी से निकाह का वादा किया, अगर 10 साल पूरे करे तो यह एहसान होगा।
मूसा (अलैहिस्सलाम) राज़ी हो गए। जब ख़िदमत करते-करते मुद्दत पूरी हो गई तो बूढ़े बाप ने आप से एक बेटी का निकाह कर दिया। अब मूसा (अलैहिस्सलाम) अपने अहल और माल के साथ वापिस लौट रहे थे कि रास्ते में आग की तलाश में एक जगह रुक गए। बीवी को इंतिज़ार करने को कहा और ख़ुद उस जगह आग लेने चले गए जहां से रोशनी नज़र आ रही थी। वहां पहुंचने पर अल्लाह ने मूसा (अलैहिस्सलाम) से कलाम किया और आपको नुबूवत से सरफ़राज़ फ़रमा कर फ़िरौन की तरफ़ जा कर नरमी से तबलीग़ करने का हुक्म दिया। अल्लाह ने आपको बतौर-ए-मौजिज़ा 9 निशानियाँ अता फ़रमाई। मूसा (अलैहिस्सलाम) के अंदर एक ख़ौफ़ तो यह था कि उन्होंने क़िब्ती को मार दिया था और दूसरा ख़ौफ़ यह था कि फ़िरौन बड़ा ज़ालिम था, वह रब होने का दावा करता था। साथ ही आपकी ज़बान में लुक्नत (हकलापन) भी थी, इस लिए अल्लाह से 4 बातों की दुआ की। अल्लाह फ़रमाता है:
قال رب اشرح لي صدري ويسرلي امري واحلل عقدة من لساني يفقهوا قولي واجعل لي وزيرا من اهلي هارون اخي اشدد به ازري واشركه في امري.(طه: 25-32)
तर्जुमा: मूसा ने कहा, ऐ मेरे परवर्दिगार (1) मेरा सीना मेरे लिए खोल दे। (2) और मेरे काम को मुझ पर आसान कर दे। (3) और मेरी ज़बान की गिरह भी खोल दे ताकि लोग मेरी बात अच्छी तरह समझ सके। (4) और मेरा वज़ीर मेरे कुन्बे में से कर दे यानी मेरे भाई हारून को। तो उससे मेरी कमर कस दे और उसे मेरा शरीक-ए-कार (मददगार) कर दे।
दोनों भाई मूसा और हारून ने फ़िरौन को रब्बुल आलमीन का पैग़ाम सुनाया और अल्लाह वहदहु ला शरीक की इबादत की तरफ़ बुलाया मगर उसने सरकशी की और नुबुव्वत की निशानियाँ तलब की। मूसा अलैहिस्सलाम ने अपने नबी होने का मौजिज़ा पेश किया। लाठी का सांप बन जाना, बग़ल में हाथ लगाने से उसमें चमक पैदा होना। फ़िरौन ने जादूगरी कहकर इसका भी इनकार किया।
फिर फ़िरौन ने अपने माहिर जादूगरों से मूसा अलैहिस्सलाम का मुक़ाबला करवाया। मुक़ाबले में पहले फ़िरौन के जादूगरों ने अपनी लाठियाँ और रस्सियाँ ज़मीन पर फेंकी और आख़िर में मूसा अलैहिस्सलाम ने अपनी लाठी फेंकी जो अजदहा बनकर जादूगरों के तमाम आलात निगल गई। यह मंज़र देखकर सारे जादूगर मूसा और हारून के रब पर ईमान ले आए। फ़िरौन अब भी ईमान न लाया और ख़ुद को ही माबूद कहलाता रहा। लोगों से कहता, "أنا ربكم الأعلى" यानी मैं तुम सबका सबसे बड़ा माबूद हूँ। यह फ़िरौन का सबसे बड़ा गुनाह था। इसके अलावा क़ुरआन ने फ़िरौन को सरकशी करने वाला, बनी इस्राइल पर ज़ुल्म और सितम ढाने वाला, उनका क़त्ल करने वाला और फ़साद मचाने वाला कहा है। अल्लाह फ़रमाता है:
"ان فرعون علا في الأرض وجعل أهلها شيعا يستضعف طائفة منهم يذبح أبناءهم ويستحيي نساءهم انه كان من المفسدين."
(القصص: 4)
तर्जुमा: यक़ीनन फ़िरौन ने ज़मीन में सरकशी कर रखी थी और वहाँ के लोगों को गिरोह गिरोह बना रखा था और उनमें से एक फ़िरक़े को कमज़ोर कर रखा था और उनके लड़कों को तो ज़िब्ह कर डालता था और उनकी लड़कियों को ज़िंदा छोड़ देता था। बेशक वह था ही मुफ़सिदों में से।
इसके अलावा रसूल को झुठलाने वाले फ़िरौन और उसके लश्कर को क़ुरआन ने कहीं ज़ालिम क़ौम कहा, कहीं फ़ासिक़ क़ौम कहा, कहीं क़ाहिर कहा, कहीं सरकशी और बाग़ी और कहीं मुतकब्बिर कहा। एक तरफ़ फ़िरौन अपने इन मज़ालिम (ज़ुल्म-ओ-सितम) की वजह से अल्लाह की अदालत से दर्दनाक अज़ाब का मुस्तहिक़ था ही, दूसरी तरफ मूसा अलैहिस्सलाम ने उसकी हलाकत की अल्लाह से दुआ भी माँगी। अल्लाह फ़रमाता है:
"وقال موسى ربنا آتيت فرعون وملاه زينة واموالا في الحياة الدنيا ربنا ليضلوا عن سبيلك ربنا اطمس على أموالهم واشدد على قلوبهم فلا يؤمنوا حتى يروا العذاب الاليم."
(يونس: 88)
तर्जुमा: और मूसा ने अर्ज़ किया कि ऐ हमारे रब! तू ने फ़िरौन को और उसके सरदारों को शानदार ज़ीनत और तरह-तरह के माल दुनियावी ज़िंदगी में दिए। ऐ हमारे रब! (इसी वास्ते दिए हैं कि) वह तेरी राह से गुमराह करें। ऐ हमारे रब! उनके माल को नीस्त-नाबूद (तबाह) कर दे और उनके दिलों को सख़्त कर दे। फिर यह ईमान न लाने पाएं जब तक कि दर्दनाक अज़ाब को न देख लें।
फिर क्या था, दुनिया में ही फ़िरौन और उसके लश्कर पर अल्लाह की तरफ़ से क़िस्म क़िस्म का अज़ाब आना शुरू हो गया। क़हत साली, फलों की कमी, तूफ़ान, टिड्डियाँ, घुन का कीड़ा, मेंढक, और ख़ून का अज़ाब आया। यहाँ तक कि उनके साख़्ता-पर्दाख़्ता (बनाया- सँवारा) कारख़ाने और ऊँची ऊँची इमारतों को भी दरहम बरहम कर दिया गया। फ़िरौन मूसा अलैहिस्सलाम से अज़ाब हटाने के बदले बनी इस्राइल की आज़ादी का वादा करता मगर कभी निभाता नहीं।
फ़िरौन और उसके लश्कर पर दुनिया का सबसे बड़ा अज़ाब यह आया कि जब मूसा अलैहिस्सलाम बनी इस्राइल को लेकर एक दिन अचानक भाग निकले और फ़िरौन अपने लश्कर के साथ उनका पीछा किया। दरिया के पास पहुँचकर मूसा अलैहिस्सलाम ने अल्लाह के हुक्म से पानी पर लाठी मारी और 12 रास्ते बन गए। इस तरह मूसा अलैहिस्सलाम और उनकी क़ौम उन रास्तों से पार निकलकर हमेशा के लिए फ़िरौनी ज़ुल्म और सितम से निजात पा गए। और जब फ़िरौन और उसका लश्कर दरिया उबूर करने लगे, तो अल्लाह ने पानी को आपस में मिलाकर डुबो दिया और सबको एक आन (वक्त) में मौत की नींद सुला दिया। अल्लाह का फ़रमान है:
"واذا فرقنا بكم البحر فانجيناكم واغرقنا آل فرعون وانتم تنظرون."
(البقرة: 50)
तर्जुमा: और जब हमने तुम्हारे लिए दरिया चीर दिया और तुम्हें उस से पार कर दिया और फ़िरौनीयों को तुम्हारी नज़रों के सामने उसमें डुबो दिया।
तिरमिज़ी (3108) की सही हदीस में है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ज़िक्र किया कि जब फ़िरौन डूबने लगा, तो जिब्रईल अलैहिस्सलाम फ़िरौन के मुँह में मिट्टी ठूँसने लगे इस डर से कि वह कहीं "لا اله الا الله" न कह दे, तो अल्लाह को उस पर रहम आ जाए।
फ़िरौन को उसके ज़ुल्म के बदले दुनिया में मुख़्तलिफ़ क़िस्म की सज़ा मिली, दर्दनाक तरीक़े से पानी में डुबो दिया गया। मरते वक्त फ़रिश्ते उसके मुँह में दरिया की मिट्टी ठूँसते रहे। मज़लूम के सामने ज़ालिम फ़िरौन को कैफ़र-ए-किरदार (बुरे कर्मों का बदला/किए की सज़ा) तक पहुँचाया गया, यानी उसको डुबोकर मारा गया। मरकर भी क़यामत तक (आलम ए बरज़ख़ में) फ़िरौन और उसकी आल को अज़ाब मिलता रहेगा और क़यामत में भी सख़्त तरीन अज़ाब दिया जाएगा। अल्लाह का फ़रमान है:
"النار يعرضون عليها غدوا وعشيا ويوم تقوم الساعة ادخلوا آل فرعون أشد العذاب."
(غافر: 46)
तर्जुमा: आग है जिसके सामने यह हर सुबह शाम लाए जाते हैं और जिस दिन क़यामत क़ायम होगी (फ़रमान होगा कि) फ़िरौनीयों को सख़्त तरीन अज़ाब में डाल दो।
इस पूरे वाक़ि'आ से एक अहम नसीहत मिलती है कि अल्लाह ने मूसा अलैहिस्सलाम और आप पर ईमान लाने वालों को दुनिया के सबसे ज़ालिम हुक्मरान से निजात दी। यहाँ तक कि फ़िरौन की बीवी आसिया भी ईमान ले आती है। फ़िरौन से निजात और जन्नत में घर के लिए अल्लाह से दुआ करती है।
ज़ालिम फिरौन की हलाकत और तबाही के मुताल्लिक़ अल्लाह ने फ़रमाया कि देखो ज़ालिम का क्या अंजाम हुआ:
"فاخذناه وجنوده فنبذناهم في اليم فانظر كيف كان عاقبة الظالمين."
(القصص: 40)
तर्जुमा: बिलआख़िर हमने उसे और उसके लश्कर को पकड़ लिया और दरिया में डुबो दिया। अब देख लो कि उन गुनहगारों का अंजाम कैसा कुछ हुआ?
एक दूसरी जगह अल्लाह ने फ़रमाया:
"ثم بعثنا من بعدهم موسى بآياتنا إلى فرعون وملئه فظلموا بها فانظر كيف كان عاقبة المفسدين."
(الأعراف: 103)
तर्जुमा: फिर उनके बाद हमने मूसा को अपने दलाईल देकर फ़िरौन और उसके उमरा (हाकिम/दौलतमंदो) के पास भेजा, मगर उन लोगों ने उनका बिल्कुल हक़ अदा न किया। पस देखो उन मुफ़सिदों का क्या अंजाम हुआ।
नसीहत से मुताल्लिक एक आख़री बात अर्ज़ करना चाहता हूँ कि अल्लाह ने फ़िरौन की लाश महफ़ूज़ रखने का वादा किया है ताकि बाद वालों के लिए नसीहत रहे। फ़रमान ए इलाही है:
"فاليوم ننجيك ببدنك لتكون لمن خلفك آية وان كثيرا من الناس عن آياتنا لغافلون."
(يونس: 92)
तर्जुमा: पस आज हम तेरी लाश को निजात देंगे ताकि तू उनके लिए निशाने इबरत हो जो तेरे बाद हैं और हक़ीक़त यह है कि बहुत से आदमी हमारी निशानियों से ग़ाफ़िल हैं। इस आयत के तनाज़ुर में मिस्र के म्यूज़ियम में मौजूद ममी की हुई लाश को अक्सर लोग फ़िरौन-ए-मूसा कहते हैं। वाज़ेह रहे कि यह सिर्फ़ एक साइंस की तहक़ीक़ है, इस लिए इस लाश को हतमी तौर पर फ़िरौन की लाश नहीं कह सकते हैं और ना ही हतमी तौर पर यह कह सकते हैं कि लाश की हिफ़ाज़त से मक़सूद क़यामत तक हिफ़ाज़त है क्योंकि आयत में इसकी सराहत नहीं है।
کوئی تبصرے نہیں:
ایک تبصرہ شائع کریں