क्या बौसीदा क़ब्र को ठीक कर सकते हैं?
जवाब: नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हमे मय्यत को ज़मीन खोद कर और ज़मीन मे यानी मिट्टी वाली क़ब्र मे दफ़्न करने का हुक्म फ़रमाया है और क़ब्र को पक्की करने से सीमिंट-चूना और गाढ़ा करने से मना किया है।
हज़रत जाबिर रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है की रसूलुल्लाह (ﷺ) ने पुख़्ता क़ब्रे बनाने और और उनपर बैठने और इमारत तामीर करने से मना फ़र्माया है।
[सहीह मुस्लिम 2245 (970)]
उसकी हिकमत यह है कि क़ब्र की इबादत नही की जाएगी, क़ब्र की हिफ़ाज़त नही की जाएगी, क़ब्र मे मुर्दे को दफ़्न करने के बाद कुछ महीनों मे मय्यत की बॉडी ख़त्म हो जाती है, मिट्टी मे सढ़ गल जाती है और उस क़ब्र की हिफ़ाज़त करने का इस्लाम ने हमे हुक्म नही दिया है इसलिए अगर कोई क़ब्र कुछ महीनों बाद, कुछ सालो बाद टूट जाए, ढह जाए, धस जाए या ख़त्म हो जाए तो उसमे कुछ नही करना है और उसको (क़ब्र को) ठीक ठाक करना - दुरुस्त करना, सजाना-संवारना इन सब की कोई ज़रूरत नही है क्योंकि ना कभी ऐसा किया गया है हमारे असलाफ़ से साबित है, नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से ऐसा साबित है और ना ही क़ब्र के लिए ऐसा करना साबित है, इंसान जैसे पैदा हुआ ख़त्म हो गया, मिट्टी मे मिल गया, अब उसको मज़ीद दोबारा सजाने-संवारने की ज़रूरत नही, जो क़ब्र धस जाए, ख़त्म हो जाए, कुछ महीनो-सालों के बाद तो इसमे कुछ नही होता है फिर उसको ठीक ठाक करने की वैसे भी ज़रूरत नही है।
~ shaikh Maqubool Ahmad Salafi Hafizahullaah
हज़रत जाबिर रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है की रसूलुल्लाह (ﷺ) ने पुख़्ता क़ब्रे बनाने और और उनपर बैठने और इमारत तामीर करने से मना फ़र्माया है।
[सहीह मुस्लिम 2245 (970)]
उसकी हिकमत यह है कि क़ब्र की इबादत नही की जाएगी, क़ब्र की हिफ़ाज़त नही की जाएगी, क़ब्र मे मुर्दे को दफ़्न करने के बाद कुछ महीनों मे मय्यत की बॉडी ख़त्म हो जाती है, मिट्टी मे सढ़ गल जाती है और उस क़ब्र की हिफ़ाज़त करने का इस्लाम ने हमे हुक्म नही दिया है इसलिए अगर कोई क़ब्र कुछ महीनों बाद, कुछ सालो बाद टूट जाए, ढह जाए, धस जाए या ख़त्म हो जाए तो उसमे कुछ नही करना है और उसको (क़ब्र को) ठीक ठाक करना - दुरुस्त करना, सजाना-संवारना इन सब की कोई ज़रूरत नही है क्योंकि ना कभी ऐसा किया गया है हमारे असलाफ़ से साबित है, नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से ऐसा साबित है और ना ही क़ब्र के लिए ऐसा करना साबित है, इंसान जैसे पैदा हुआ ख़त्म हो गया, मिट्टी मे मिल गया, अब उसको मज़ीद दोबारा सजाने-संवारने की ज़रूरत नही, जो क़ब्र धस जाए, ख़त्म हो जाए, कुछ महीनो-सालों के बाद तो इसमे कुछ नही होता है फिर उसको ठीक ठाक करने की वैसे भी ज़रूरत नही है।
~ shaikh Maqubool Ahmad Salafi Hafizahullaah
کوئی تبصرے نہیں:
ایک تبصرہ شائع کریں