क्या बिना क़दम छुपाए औरतों की नमाज़ नहीं होगी?
जवाब: इब्न अबी शैबा की रिवायत है जिसे शैख़ अल्बानी रहिमहुल्लाह ने सहीह क़रार दिया है:
قال ابنُ عمرَ إذا صلت المرأةُ فلتصلِّ في ثيابِها كلِّها : الدرعِ والخمارِ والملحفةِ(تمام المنة:162)
तर्जुमा: इब्न उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया: जब औरत नमाज़ पढ़े तो मुकम्मल लिबास में नमाज़ पढ़े यानी क़मीज़, दुपट्टा और क़मीज़ के ऊपर चादर।
औरत का यह लिबास सलफ़ के यहाँ मा'रूफ़ है, इसलिए बहालते नमाज़ जहाँ औरत को बालों समेत मुकम्मल जिस्म छुपाना है (सिवाय चेहरे के, लेकिन अजनबी हों तो चेहरा भी वाजिब अल-सतर है), वहीं दबीज़ (मोटे) कपड़े से अच्छी तरह दोनों क़दमों को भी ढकना है। कुछ अहल-ए-इल्म नमाज़ में दोनों क़दमों का ढांकना वाजिब क़रार देते हैं। मालिक बिन अनस कहते हैं कि अगर औरत ने नमाज़ पढ़ी इस हाल में कि उसके बाल खुले थे या उसके क़दमों का ज़ाहिरी हिस्सा खुला था तो अपनी नमाज़ दोहराएगी अगर वह नमाज़ के वक़्त में ही हो।
कुछ अहल-ए-इल्म अदम वुजूब के क़ाइल हैं, बहर-कैफ़! एहतियात का तक़ाज़ा है कि औरत नमाज़ में अपने दोनों पैरों को ढक कर नमाज़ पढ़े।
~ शैख़ मक़बूल अहमद सलफ़ी हिफ़्ज़हुल्लाह
قال ابنُ عمرَ إذا صلت المرأةُ فلتصلِّ في ثيابِها كلِّها : الدرعِ والخمارِ والملحفةِ(تمام المنة:162)
तर्जुमा: इब्न उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया: जब औरत नमाज़ पढ़े तो मुकम्मल लिबास में नमाज़ पढ़े यानी क़मीज़, दुपट्टा और क़मीज़ के ऊपर चादर।
औरत का यह लिबास सलफ़ के यहाँ मा'रूफ़ है, इसलिए बहालते नमाज़ जहाँ औरत को बालों समेत मुकम्मल जिस्म छुपाना है (सिवाय चेहरे के, लेकिन अजनबी हों तो चेहरा भी वाजिब अल-सतर है), वहीं दबीज़ (मोटे) कपड़े से अच्छी तरह दोनों क़दमों को भी ढकना है। कुछ अहल-ए-इल्म नमाज़ में दोनों क़दमों का ढांकना वाजिब क़रार देते हैं। मालिक बिन अनस कहते हैं कि अगर औरत ने नमाज़ पढ़ी इस हाल में कि उसके बाल खुले थे या उसके क़दमों का ज़ाहिरी हिस्सा खुला था तो अपनी नमाज़ दोहराएगी अगर वह नमाज़ के वक़्त में ही हो।
कुछ अहल-ए-इल्म अदम वुजूब के क़ाइल हैं, बहर-कैफ़! एहतियात का तक़ाज़ा है कि औरत नमाज़ में अपने दोनों पैरों को ढक कर नमाज़ पढ़े।
~ शैख़ मक़बूल अहमद सलफ़ी हिफ़्ज़हुल्लाह
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