क्या नौ-मौलूद (नवजात) की तहनीक करना यानी गुट्ठी पिलाना मसनून है?
जवाब: कुछ अहल-ए-इल्म ने कहा है कि नौ-मौलूद की तहनीक (किसी चीज़ का चबाकर बच्चे के मुँह में देना) करना रसूलुल्लाह ﷺ के साथ ख़ास है क्योंकि यह तबर्रुक है, जबकि अक्सर अहल-ए-इल्म ने नौ-मौलूद के लिए तहनीक करना मुस्तहब लिखा है। बल्कि इमाम नववी रहिमहुल्लाह ने शरह मुस्लिम में तहनीक के इस्तिहबाब पर उलमा का इत्तिफ़ाक़ ज़िक्र किया है। लिहाज़ा हमें बच्चों की विलादत पर खजूर या किसी मीठी चीज़ से तहनीक करना चाहिए।
عَنْ أَبِي مُوسَى رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ، قَالَ: «وُلِدَ لِي غُلاَمٌ، فَأَتَيْتُ بِهِ النَّبِيَّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ فَسَمَّاهُ إِبْرَاهِيمَ، فَحَنَّكَهُ بِتَمْرَةٍ، وَدَعَا لَهُ بِالْبَرَكَةِ، وَدَفَعَهُ إِلَيَّ»، وَكَانَ أَكْبَرَ وَلَدِ أَبِي مُوسَى(صحيح البخاري:5510)
सय्यदना अबू मूसा अशअरी रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है, उन्होंने कहा कि मेरे यहाँ लड़का पैदा हुआ तो मैं उसे लेकर नबी ﷺ की ख़िदमत में हाज़िर हुआ। आपने उसका नाम इब्राहीम रखा और खजूर को चबा कर उसकी गुट्ठी दी, और उसके लिए ख़ैर व बरकत की दुआ फ़रमाई फिर वह मुझे दे दिया। यह सय्यदना अबू मूसा रज़ियल्लाहु अन्हु के सबसे बड़े लड़के थे।
इस हदीस से मालूम हुआ कि सहाबा-ए-किराम अपने बच्चों को नबी ﷺ के पास ख़ैर व बरकत की दुआ के लिए लाते, आप बच्चे का नाम भी रखते और तहनीक भी करते। तो जिस तरह नौ-मौलूद (नवजात) का नाम रखना आम है, उसी तरह तहनीक भी आम है, इसे रसूलुल्लाह ﷺ के साथ ख़ास नहीं माना जाएगा।
~ शैख़ मक़बूल अहमद सलफ़ी हिफ़्ज़हुल्लाह
عَنْ أَبِي مُوسَى رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ، قَالَ: «وُلِدَ لِي غُلاَمٌ، فَأَتَيْتُ بِهِ النَّبِيَّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ فَسَمَّاهُ إِبْرَاهِيمَ، فَحَنَّكَهُ بِتَمْرَةٍ، وَدَعَا لَهُ بِالْبَرَكَةِ، وَدَفَعَهُ إِلَيَّ»، وَكَانَ أَكْبَرَ وَلَدِ أَبِي مُوسَى(صحيح البخاري:5510)
सय्यदना अबू मूसा अशअरी रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है, उन्होंने कहा कि मेरे यहाँ लड़का पैदा हुआ तो मैं उसे लेकर नबी ﷺ की ख़िदमत में हाज़िर हुआ। आपने उसका नाम इब्राहीम रखा और खजूर को चबा कर उसकी गुट्ठी दी, और उसके लिए ख़ैर व बरकत की दुआ फ़रमाई फिर वह मुझे दे दिया। यह सय्यदना अबू मूसा रज़ियल्लाहु अन्हु के सबसे बड़े लड़के थे।
इस हदीस से मालूम हुआ कि सहाबा-ए-किराम अपने बच्चों को नबी ﷺ के पास ख़ैर व बरकत की दुआ के लिए लाते, आप बच्चे का नाम भी रखते और तहनीक भी करते। तो जिस तरह नौ-मौलूद (नवजात) का नाम रखना आम है, उसी तरह तहनीक भी आम है, इसे रसूलुल्लाह ﷺ के साथ ख़ास नहीं माना जाएगा।
~ शैख़ मक़बूल अहमद सलफ़ी हिफ़्ज़हुल्लाह
کوئی تبصرے نہیں:
ایک تبصرہ شائع کریں