1400 साल पुराने
उरदुन के दरख़्त की हक़ीक़त
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कोई ऐसा सबूत इस
दरख़्त के मुताल्लिक़ नहीं मिलता कि आप ﷺ ने शाम के सफ़र के वक़्त उरदुन के एक
दरख़्त के लिए दुआ की थी ।
यह ख़बर सोशल
मीडिया पे फैली काफ़ी हुई है,अरबी वेब पर भी कसरत से इसे शेर किया गया है
मगर इसके लिए कोई ठोस दलील नहीं मिलती, बग़ैर ठोस दलील के
किसी चीज़ को रसूलुल्लाह ﷺ की तरफ़ मंसूब करना रवा नहीं है।
अगर फ़र्ज़ कर लें
कि यह वही दरख़्त है जिसके लिए नबी ﷺ ने दुआ की थी फिर भी इसके पास जाना
इससे बरकत हासिल करना इस्लाम में नाजाइज़ है। मुसन्निफ़ इब्न अबी शैबह में है कि
हज़रत उमर रज़ियल्लाहू अन्हु को मालूम हुवा कि लोग इस दरख़्त के पास आते हैं जिसके
नीचे बैअत की गई थी तो आप ने इसे काटने का हुक्म फ़रमाया।
लिहाज़ा इसको आम
करने से परहेज़ किया जाए,ताकि बिदअत को शह ना मिले।
अल हिफ़्ज़ वल् अमान
मक़बूल अहमद सलफ़ी
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