بدھ، 27 اپریل، 2016

अज़ान के वक़्त कानों में उँगलियां रखना

अज़ान के वक़्त कानों में उँगलियां रखना

सुन्नत से यह साबित है कि अज़ान देते हुए अपनी उंगली को कान के सूराख़ में दाख़िल करना चाहिए।सय्यदना बिलाल रज़ियल्लाहू अन्हु इसी तरह अज़ान देते थे ।
सय्यदना अबू जुहैफ़ह वुहैब बिन अब्दुल्लाह रज़ियल्लाहू अन्हु फ़रमाते हैं कि:
رَأَيْتُ بِلَالًا يُؤَذِّنُ وَيَدُورُ وَيُتْبِعُ فَاهُ هَا هُنَا وَهَا هُنَا وَإِصْبَعَاهُ فِي أُذُنَيْهِ
मैंने बिलाल रज़ियल्लाहू अन्हु को अज़ान देते हुए देखा वह अपना चेहरा दाएं बाएं घुमाते थे और इनकी उँगलियां इनके कानों में थीं।(जामेअ् तिर्मिज़ी अबवाब अस-सलाह बाब मा जाअ् फ़ी इदख़ालुल असाबिअ् फ़ी अल-अज़ान इन्दल् अज़ान ह 19 7 )
इस हदीस को शेख़ अल्बानी ने सहीह क़रार दिया है ।
इस सिलसिले में एक रिवायत ज़ईफ़ है जिसमें रसूलुल्लाह के बिलाल रज़ियल्लाहू अन्हु को कानों में उँगलियां रखने का हुक्म व अम्र का ज़िक्र है ।
बअ्ज़ लोगों का कहना है कि अज़ान देते वक़्त कान में उंगली डालना साबित नहीं है,यह कहना दुरुस्त नहीं है।यह अलग बात है कि आप की क़ौली या फ़अ्ली सहीह रिवायत नहीं मगर तक़रीरी रिवायत है ।
बअ्ज़ लोग कान में उंगली नहीं रखते यह सुन्नत की मुख़ालिफ़त है,बअ्ज़ लोग एक कान में उंगली दूसरा कान खुला रखते हैं यह भी मुख़ालिफ़त है और अगर बअ्ज़ लोग अज़ान के वक़्त सीने पर हाथ बांधते हैं तो भी दुरुस्त तरीक़ा नहीं क्योंकि ऐसा करना साबित नहीं है ।


वल्लाहु अअ्लम

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