आटे के साथ भूसा खाना मुफ़ीद
حَدَّثَنَا یَعْقُوبُ بْنُ حُمَیْدِ بْنِ کَاسِبٍ،
حَدَّثَنَا ابْنُ وَهْبٍ، أَخْبَرَنِی عَمْرُو بْنُ الْحَارِثِ، أَخْبَرَنِی
بَکْرُ بْنُ سَوَادَةَ أَنَّ حَنَشَ بْنَ عَبْدِاللَّهِ حَدَّثَهُ، عَنْ أُمِّ
أَیْمَنَ أَنَّهَا غَرْبَلَتْ دَقِیقًا، فَصَنَعَتْهُ لِلنَّبِیِّ ﷺ رَغِیفًا،
فَقَالَ: "مَا هَذَا؟" قَالَتْ: طَعَامٌ نَصْنَعُهُ
بِأَرْضِنَا،فَأَحْبَبْتُ أَنْ أَصْنَعَ مِنْهُ لَکَ رَغِیفًا، فَقَالَ: رُدِّیهِ
فِیهِ ثُمَّ اعْجِنِیهِ۔
तर्जुमा:उम्म ऐमन रज़ियल्लाहू अन्हा कहती हैं कि
इन्होंने आटा छाना, और नबी अकरम ﷺ
के लिए इसकी रोटी बनाई, आप ने पूछा:यह किया है?इन्होंने जवाब दिया:यह वह खाना है जो हम अपने इलाक़ह में
बनाते हैं, मैंने चाहा कि इससे
आप के लिए भी रोटी तयार करूं,आप ﷺ
ने फ़रमाया:""इसे (छान कर निकाला गया भूसा) इसमें डाल दो, फिर इसे गूंधो" । (इब्न माजा 3336 )
इस हदीस से पता चलता है कि हज़रत उम्म ऐमन रज़ियल्लाहू अन्हा ने
आटा से जिस भूसे को बे फ़ाएदा समझ कर निकाल दी थी इसे नबी ﷺ
ने इसी आटे में मिलाने का हुक्म दिया ।
आज का मेडिकल साइंस (अनाज
के ऊपरी हिस्सा जिसे भूसा कहते हैं जो मुकम्मल हिस्से का 5-12 हिस्सा बनता है और यह दाने का मोटा पा
बाहरी हिस्सा होता है) कहता है कहा स में
दाने के हिसाब से पचास से इसी फ़ीसद मादनियात होती है जिसमें लोहा,कॉपर, ज़ंग
और मैग्नीशियम के साथ साथ काफ़ी मिक़दार में फ़ाइबर, बी
विटामिन,कुछ प्रोटीन, फ़ोटो केमिकल और दीगर बायो-एक्टिव अजज़ा पाए जाते हैं। इसी वजह से
डॉक्टर इसे शुगर, ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारी, कोलेस्ट्रोल और पेट की मुताद्दिद अमराज़
में नफ़ा बख़्श बतलाते हैं ।
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