अज़ान का जवाब
अज़ान का जवाब वैसे ही देना है जैसे मुअज़्ज़िन कहता है लेकिन
हैय्य अली अस-सलाह और हैय्य अल-फ़लाह का जवाब"ला हवल वलअ क़ व ۃ
इल्ला बिल्लाह"देना है,इसकी दलील मनदर्जा ज़ेल रिवायत है:
)إِذَا سَمِعتُمُ
المُؤَذِّنَ فَقُولُوا مِثلَ مَا یَقُولُ(
सय्यदना अब्दुल्लाह बिन अम्र बिन आस रज़ियल्लाहू अन्हु से
रिवायत है कि उन्होंने रसूलुल्लाह ﷺ को यह फ़रमाते
हुए सुना कि जब तुम मुअज़्ज़िन की अज़ान सुनो तो वही कहो जो मुअज़्ज़िन कहता है। रवाहु अल-बुख़ारी (611) व मुस्लिम (318)
और अस-सलातु ख़ैरुम् मिनन्
नौम का जवाब अस-सलातु ख़ैरुम् मिनन्
नौम ही दिया जाएगा क्योंकि इसका अलग से जवाब वारिद नहीं है,बअ्ज़ लोग कहते हैं कि इसका जवाब सद्क़त
व बर-रत है।लेकिन यह
कहना दुरुस्त नहीं है क्योंकि यह कलिमा जिस हदीस में मज़्कूर है वह ज़ईफ़ है ।
वल्लाहु अअ्लम
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